मंद-मंद शितल समीर चलने लगी,
लोकलुभावन,मनभावन शरद ऋतु,
शीतल यामिनी उमस से राहत पाई,
नवविवाहिता का कराया गोना,
जोड़े से कूल देवी प्रथम पूजना,
ठिठुरन तन,अकुलाए अधीर,मिलन,
समर्पण,संरक्षण,बाहों का आलंबन,
पूरी हुई आस,बड़ा आपस में विश्वास,
सहसम्मान वैवाहिक जीवन सुखखान,
शारदीय नवरात्र नवदुर्गा आराधना,
खेले गरबा सब,हो पूरी मनोकामना,
भोर ठिठुरन,धुप सुहावन स्वेटर भाए,
रजनी शितल,रजाई छुपे,लोग, लुगाई,
मन की हुई प्रित सरसाई,राहत पाई,
शरद पूर्णिमा,मेवे केसर का दुग्ध पान
पूर्ण चंद्रमा किरण बरसाए अमृत रस,
स्वस्थता की कामना,दुग्ध पान करना,
करवाचौथ, व्रत करें है हर सुहागिन
पति की लम्बी उम्र की मन,कामना,
धन तेरस, मनभावन लाए आभुषण,
सोलह श्रृंगार सजी संवरी सुहागन,
रंगे पूते रांगोली से सजे घर आंगन,
खनके कंगना,दीप ले,चली कामिनी,
दीप पहरेदार,व्दार,तिमिर पे वार,
दीपमाल,प्रकाश का फैला संसार,
महालक्ष्मी की करें सब आराधना,
सुख समृद्धि सबकी मनोकामना,
फोड़े फटाखे बाल गोपाल नोनिहाल
श्रीफल पंच मैवा सजी मिठाई थाल,
वरिष्ठ के पांवढोक,पाए पड़वाआशिष,
सोलह श्रृंगार सज सुहागपड़वा मनाई,
गौरधन पूजा,कर,गोधन पूजा,
देखी मैदान में पांडे की लड़ाई,
भाई दूज,भय्या,बहिन घर आया,
बहिन ने टीका लगा करी कामना,
बनाए रखना सदैव स्नेह भावना,
दैव उठाए ग्यारस पर करी प्रार्थना,
प्रभु दयादृष्टी रखना सादर याचना।
नंदकिशोर उपाध्याय’प्रबोधक’
सरस्वती नगर’धार (म.प्र.)
मो.7000624894
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