यह जग बना काँस्य से साथी
तेरा प्यार है खरा सोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना।
तुमसे तुम तक बातें सारी
तुमसे रातें हैं उजियारी
घनी अँधेरी राहों में भी
दिशा प्रेम की तुम मत खोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
एक जनम का साथ नहीं ये
आज अभी की बात नहीं ये
एक अभिलाषा मेरे मन की
हर क्षण देखूँ रूप सलोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
आहत करता यह जग मन को
संजीवनी देना तुम मृत तन को
लहुलुहान हों जब आशाएँ
प्रेमसुधा से मुझे भिगोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
तुम बिन मेरा जीवन बंजर
विरह वेदना जैसे खंजर
असह्य हो जब पीर हृदय की
सारे घाव तुम्हीं तब धोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
भाये तेरी छवि निराली
लागे रूप सुधा मतवाली
मितवा वश में अब मन नाहीं
तुमने किया है जादू टोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
पतझर हो जाये जब जीवन
ढलने लगे सुनहरा यौवन
चिरकालिक वसंत बन जाना
प्रेम बीज अंतस में बोना।
डोर बंधी साँसों की तुमसे
संग तुम्हारे हँसना रोना…
प्रीति चौधरी “मनोरमा”
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश