भीगी पलकें, दिल है भारी,

झूठी लगती दुनिया सारी,

कठिन वेदना आज सह रहा,

बेटी को मैं विदा कर रहा।

दुनिया मुझको नहीं दिख रही,

गलियाँ सूनी मुझे दिख रहीं,

अन्तस् में इक ताप बढ़ा है,

अंधकार परवान चढ़ा है।

आँगन मेरा हुआ है सूना,

घर का कोना कोना सूना

मेरी गुड़िया दूर जा रही,

आँसू का सैलाब ला रही,

फिर भी धैर्य मुझे है देती,

जो खुद अपना धैर्य है खोती

कहती पापा मैं आऊँगी,

तुम न रोना मर जाऊँगी।

उसके बिन मैं कैसे रहूँगा,

नटखट स्वर मैं कैसे सुनूँगा,

जिसको मेरी फिक्र थी ज्यादा,

उसको ही मैं दूर कर रहा,

कठिन वेदना आज सह रहा,

बेटी को मैं विदा कर रहा।

कठिन वेदना आज सह रहा,

बेटी को मैं विदा कर रहा।

लाडो मेरी तू खुश रहना,

नहीं कभी दुःख कोई सहना,

जी लेगा ये पिता तुम्हारा,

जिसने तुझ पर सब कुछ वारा,

कमजोर नहीं तुम्हें होने दूँगा,

आँसू सारे मैं पी लूँगा,

यह तुझसे तेरा पिता कह रहा,

कठिन वेदना आज सह रहा।

उसको नहीं बता सकता मैं,

जो दर्द यहाँ मैं आज सह रहा,

भीगीं पलकें, दिल है भारी,

सूनी लगती दुनिया सारी,

कठिन वेदना आज सह रहा,

बेटी को मैं विदा कर रहा।

कठिन वेदना आज सह रहा,

बेटी को मैं विदा कर रहा।

     अमलेन्दु शुक्ल

        सिद्धार्थनगर उ०प्र०