हर बात सीने में दबा लेता हूँ

फटेहाल जिंदगी तुरपाई से छुपा लेता हूँ

 कितना भी बिखरा रहूं मुस्कुरा लेता हूँ

ये अजनबीयों और ना मुरादों का शहर

 टूटे ख्वाबों को आगोश में समेट लेता हूँ

ये रात की खामोशियाँ  गवाह है

हर बात सीने में दबा लेता हूँ।

जिसे देखो वो नकाब ओढ़े बैठा है 

में परिंदो की उड़ान छुपा लेता हूँ।

सर्द रात में वो ठिठुर कर मर गया

उसके गुनाहों को अपने सर लेता हूँ।

ये शहर जागता है रात रात भर

इसकी सोहबत में जाम रात भर लेता हूँ।

जाने कितने गुनाहों का इल्जाम है इस पर

में अपने गुनाहों को अपने सर लेता हूँ।

कमल राठौर साहिल 

शिवपुर मध्य प्रदेश 

96859 07895