ग़ज़ल “

यहां हर जज़्बात को छिपाना होता है ।

तुम्हें तो बस ख़ाब में आना होता है ।।

बड़ी पुर – सुकून देती है तेरी आंखे ।

तकलीफ़ होती है जब घर जाना होता है ।।

सारी शब गुज़र जाती है तेरी ही याद में ।

तुम्हें तो बस आने का मन बनाना होता है ।।

मेरी लकीरों में नही पर ख़्वाबों में हो तुम ।

जनाब बहाना तो सिर्फ़ बहाना होता है ।।

जिंदगी को भला ग़ज़लों में क्या कहिए ।

जिंदगी का मतला ही मुस्कुराना होता है ।।

                           :- अंकुर अग्रवाल

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