यहां हर जज़्बात को छिपाना होता है ।
तुम्हें तो बस ख़ाब में आना होता है ।।
बड़ी पुर – सुकून देती है तेरी आंखे ।
तकलीफ़ होती है जब घर जाना होता है ।।
सारी शब गुज़र जाती है तेरी ही याद में ।
तुम्हें तो बस आने का मन बनाना होता है ।।
मेरी लकीरों में नही पर ख़्वाबों में हो तुम ।
जनाब बहाना तो सिर्फ़ बहाना होता है ।।
जिंदगी को भला ग़ज़लों में क्या कहिए ।
जिंदगी का मतला ही मुस्कुराना होता है ।।
:- अंकुर अग्रवाल
7389818283