ना कुछ लेकर जाएगा ,
इस धरा का इस धरा पर ,
ही धरा रह जाएगा । ।
-01-पूरा जीवन भाग भाग कर,
दौलत तू ने बनाई,
अंत समय में सारी दौलत
इक सांस ना दे पाई,
गाड़ी घोड़े बड़ा खज़ाना
यहीं पड़ा रह जाएगा ।
ना कुछ लेकर आया बंदे
ना कुछ लेकर जाएगा ।
02–रिश्ते नाते जोड़ जोड़ कर
कुनबा तूने बनाया,
जब चलने की बारी आई
कोई साथ न आया ,
कल के दिन तेरा तीसरा होगा
चित्र धरा रह जाएगा ।
ना कुछ लेकर आया बंदे . . .
03-इंच इंच भूमि तू ने
नींदें खो के जुटाई,
तेरी ज़मीन तुझको ही
खुद में सुला ना पाई,
रजिस्ट्रियों के पन्नों से
नाम तेरा हट जाएगा ।
ना कुछ लेकर आया बंदे . . .
04-केवल सत्कर्मों की खूश्बू
तेरे साथ में जाएगी,
ये तन तो मिट जाएगा
पुण्याई अमिट रह जाएगी,
परहित अमृत जीवन घट में
सदा भरा रह जाएगा ।
ना कुछ लेकर आया बंदे ,
ना कुछ लेकर लेकर जाएगा ।
:-प्रोफेसर डाॅ राजीव शर्मा,अंतरराष्ट्रीय कवि
जीएसीसी, इंदौर