जहाँ सुनहरी सुबह लुभाए और सलोनी शाम
जगत में भारत देश महान | जगत में भारत देश महान ||
शीश सुशोभित धवल हिमा लय, गंगा पावन हार
धन्य हो रहीं जलधि तरंगें जिसके चरण पखार
जहाँ हरीतिमा का आंचल है नदियों का विस्तार
स्वर्ण-भष्म है मरुभूमि भी फैला हुआ पठार
रचते दिव्य अलौकिक उपमा गिरि कानन, उद्यान
जगत में भारत देश महान | जगत में भारत देश महान ||
जहाँ अनेको धर्म-रीति हैं
किन्तु परस्पर उन्हें प्रीति है |
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
जहाँ पे सब है भाई-भाई |
जहाँ पे पूजित सदा वाईविल, गीता और कुरान |
जगत में भारत देश महान। जगत में भारत देश महान||
कोयल जब वसंत में गाती
ग्रीष्म धरा को फिर पिघलाती
वर्षा तब जलमय कर जाती
शरद बीतते शीत कँपाती
जहाँ अनेको ऋतुएं आकर, करवातीं निज भान
जगत में भारत देश महान, जगत में भारत देश महान||
राम-कृष्ण की पावन धरती स्वर्णिम अपना देश रहा है
विश्व-गुरु बन पूज्य-प्रतिष्ठित भारत सदा विशेष रहा है |
मर्यादा पर प्राण निछावर दिव्य परम परिवेश रहा है
लहू का एक कतरा भी तन में अगर कदाचित शेष रहा है |
ऋषि दधीच ने जग-हित खातिर किया अस्थि निज दान |
जगत में भारत देश महान। जगत में भारत देश महान||
नानक बुद्ध कबीर की बाणी जहाँ हमे करती प्रबोध हैं
जहाँ अहिंसा परम धर्म है गाँधी जी का सत्य शोध है |
शेखर सुभाष सा परम-त्याग जिस धरती की परिपाटी है
अगणित बलिदानों से पोषित जिसकी पावन माटी है |
राजगुरु सुखदेव भगत ने किया जहाँ बलिदान |
जगत में भारत देश महान।जगत में भारत देश महान||
डॉ०दीपाअसिस्टेंट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय