वजूद रखता हूँ ख्वाबों में बादल की तरह|
वजूद रखता हूँ ख्वाबों में बादल की तरह,
अपनी आखों में सजा ले काजल की तरह |
कल भी दीदार खुदा जाने हो की न हो,
आज का दिन तो गुजर गया कल की तरह |
मैं तेरे शुरुरों से सराबोर रहा करता हूँ,
तेरी आखों में मय की बोतल की तरह|
वरना दुनिया में बहक जाने के मकां थे’ बहुत,
उसने मुझे सम्हाले रखा आँचल की तरह|
मैं ने संजीव महसूस किया बारिश में,
गुगुनानें लगी बूंदें तेरी पायल की तरह |
संजीव ठाकुर, रायपुर छ.ग.9009415415,