रिवाजों को निभाया करो

रिवाजों  में बंधकर रहने को, तुम  कैद ना बताया करो।

वक्त के साथ बदल कर,अपनो को ना आजमाया करो।

तन्हा जिंदगी पशु भी नहीं जिया करते हैं जहां में कभी,

हरकतों से खुद को,गैर हाथ कठपुतली ना बनाया करो।

रिवाज फालतू बता,संस्कारों पर अंगुली न उठाया करो।

आजादी का अधिकार दिया है,खुद को ना उड़ाया करो।

पुराने रिवाजों को जो बिखेरा तो जिंदगी बिखर जाएगी,

जरूरत से  ज्यादा मॉडर्न बन, हर्जाना ना चुकाया करो।

संभल कर रखो तुम कदम,अपनी हस्ती न मिटाया करो।

आता है जीवन में सुख दुख,खुद को मजबूत बनाया करो।

चलना पड़ता है समाज के रिवाजों के अनुसार ही सबको,

देनी पड़े कितने भी परीक्षाएं,गलत कदम न उठाया करो। 

टोंकते हैं बुजुर्ग अच्छे के लिए,उन पर ना चिल्लाया करो।

सही गलत  परख है ,कहे अनुसार खुद को चलाया करो।

एक बार भी अगर बिखर गई जिंदगी तो समेट न पाओगे,

नए रिश्ते तो बन जाएंगे पल में, पुरानो को निभाया करो।

वीणा वैष्णव रागिनी

    राजसमंद

    राजस्थान