“एहसास”

दिल के किसी कोने में

कोई रहता है, 

हरदम कुछ कहता है

हम सुन कर अनसुना

कर देते तत्काल

पर बाद में होता है

उसका एहसास बराबर।

दिल के कोने में 

उसके रहने का 

उसके कहने का

नज़र अंदाज़ करना

हमें पड़ता है भारी

भर आती हैं आंखें

अपनी गलती थी सरासर।

बेचैन कर देता है

दिल की न सुनना

समय जाता है निकल

मन हो जाता है विकल

होता है ऐसा शायद

हर इंसान के साथ

कोई कहता कोई सहता

पर लाता नहीं जुबां पर।

नागेन्द्र नाथ गुप्ता, ठाणे (मुंबई)