इन्दौर में केंद्रीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनुसंधान केन्द्र की स्थापना से प्रदेश में आयुष चिकित्सा का बुनियादी ढाँचा होगा और अधिक सुदृढ़

इन्दौर । स्वच्छ शहर, बेहतर चिकित्सा तथा उत्कृष्ट शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाला इन्दौर अब आने वाले वर्षों में होम्यो हब के नाम से भी जाना जा सकता है। इन्दौर की प्रभावी होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली से इलाज कराने लिए देश सहित विदेश से भी मरीज आते हैं। आयुष की होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाने के लिए इन्दौर में होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना को लेकर केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल के निवास में इन्दौर सांसद शंकर लालवानी के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद् आयुष मंत्रालय, भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के.द्विवेदी भी उपस्थित रहे।
केन्द्रीय आयुष मंत्री सोनोवाल के साथ आयोजित बैठक में सांसद शंकर लालवानी ने शहर में होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केन्द्र की स्थापना को लेकर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान डॉ. ए.के. द्विवेदी ने मंत्री सोनोवाल को कोरोना काल में होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा किये गये प्रयासों को विस्तृत रूप से बताया। डॉ. द्विवेदी ने मंत्री सोनोवाल को अवगत कराया कि, पूरे देश से लोग उनके पास (इन्दौर) अप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी के इलाज हेतु आते हैं और उन्हें काफी राहत भी मिल रही है। ऐसे में इस बीमारी के इलाज हेतु होम्योपैथिक चिकित्सा अनुसंधान केन्द्र की इन्दौर में अत्यन्त आवश्यकता है।
विदित है कि, उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए देश की सरकार सतत् प्रयासरत है। प्रमुख चिकित्सा पद्धति के साथ होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति भी अप्लास्टिक एनीमिया, गठिया, अस्थमा, कैंसर, त्वचा रोग सहित अन्य जटिल रोगों में काफी कारगर साबित हो रही है। समय के बदलते दौर में कोरोना सहित अन्य जटिल रोगों का कारगर इलाज करती आयुष चिकित्सा पद्धति की आवश्यकता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। कोविड काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर रही होम्योपैथी दवाओं की माँग बाजार में काफी बढ़ गई थी। इस प्रकार अनेक जटिल रोगों में कारगर इलाज करने वाली होम्योपैथी दुनिया की दूसरी प्रमुख चिकित्सा विधा के रूप में जानी जाती है।