‘अजी सुनते हो!’ कहते हुए कुमुद अपने पति से बोली, ‘पता है हमारे पड़ोस में मिस्टर गुप्ता जी की बेटी …. !’ तभी कुमुद के पति ने उसे कहा कि, ‘हाँ, उनकी बेटी शालिनी एक लड़के राहुल से प्यार करती है यही ना!’
हाँ, वही तो कहना चाह रही हूं,’ कुमुद ने कहा।
‘रहने दो, मुझे सब पता है, तुम्हारा तो यही काम है, उसकी लड़की, उसका लड़का… । यार, सब की अपनी जिंदगी होती है वो अपनी निजी जिंदगी में क्या करते है, क्या नहीं, उससे हमें क्या?’
कुमुद की तो वहां बोलती बंद हो गई क्योंंकि उसके पति ने उसकी बात सुनने से मना जो कर दिया।फिर भी वो शांत रहने वाली नहीं थी।जब उसके पति ऑफिस चले गए तो फिर क्या?उसे अब कौन रोकने वाला था, वो चली अपने महिला मित्र मंडली की ओर ।सब एक जगह इकट्ठा होकर बस चालू हो गए। मिस्टर गुप्ता की बेटी की प्रेम कहानी लेकर।
‘आप सभी को पता है ? गुप्ता जी की बेटी क्या गुल खिला रही है उस राहुल के साथ? बताओ वो लड़का एक तो नीच जात उसपर उसका यहां कोई नहीं। पता नहीं उसका कोई है भी की नहीं।’
इस बार कीर्ति बोली, ‘हां, मुझे भी पता है उसी के साथ ऑफिस जाती है और आती है जब देखो अपने मोबाइल पर लगी रहती है उसके साथ। बताओ तो जरा! गुप्ता जी जरा भी ध्यान नहीं देते अपनी बेटी पर।’
‘हाँ, बताओ तो जरा! कहते हुए पारुल भी शुरू हो गई, ‘हाँ, ऐसा भी क्या लड़कियों को इतनी छूट देना, आगे बढ़ाना कि मां बाप की इज्ज़त की भी परवाह नहीं।’
रीना कहाँ चुप रहने वाली थी। उसने भी लगती में आग लगाते हुए कहा, ‘हाँ, गुप्ता जी कुछ जायदा ही छूट दे रखे हैं अपने बच्चों को।’
अब क्या आग की तरह बात फैलने लगी।अब वे सभी औरतें पड़ोस की प्रेम कहानी की सूत्रधार जो बन गई थी।वो जैसा देखती उसमें कुछ और मिर्च-मसाला लगा कर एक दूसरे को बताती। गुप्ता जी की बेटी और राहुल की प्रेम कहानी हर पड़ोसियों के दिमाग में छा गई।
एक दिन सभी पड़ोसियों के घर गुप्ता जी की बेटी की सगाई का न्यौता आया। सब के दिमाग़ में एक ही बात चल रही थी। जरूर उसी राहुल से सगाई कर रही होगी।हमें क्या उनकी मर्जी, उनको जात-पांत की पड़ी ही नहीं ।हम तो पड़ोसी है, अपना धर्म तो निभाएंगे ही, जाकर आशीर्वाद तो देना ही है।
सब पड़ोसी एक साथ ही शादी भवन में इक्कट्ठे हुए। सब को खूब बढ़िया नाश्ता कराया गया। सब चटकारे लेकर मजे ले रहे थे मानो एक पड़ोसी की बेटी की प्रेम कहानी की फिल्म देखने आए हो।
तभी गुप्ता जी की लड़की सज-धज कर स्टेज पर आई। एक सुंदर, आकर्षक नौजवान भी सूट पहन कर आया। राहुल भी उसके साथ था। सब जानने को उत्सुक थे कि ‘यह कौन है?’
राहुल ने स्टेज पर आकर उस युवक का परिचय देते हुए कहा, ‘यह अजय है, जिससे गुप्ता जी की बेटी शादी करने जा रही है।’ इतना कह कर राहुल एक दोस्त का फ़र्ज़ निभाने गुप्ता परिवार के पास गया, और उसकी जो जो अपनी जिम्मेदारी थी उसने परिवार के सदस्य की भांति बखूबी निभाई। यह सब देख सभी औरतों को मानो 440 का करंट लग गया। क्योंंकि अब दूध का दूध, और पानी का पानी हो गया था।
● प्रिया सिन्हा, रांची (झारखंड )