कुछ तेरी कुछ मेरी बातें

पहली नजर में तुम मुझको भाए

रफ़्ता रफ़्ता तुम करीब आए

मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा

ये दिल भी कमबख्त नादान था बड़ा

तेरे गीत गुनने गुनगुनाने लगा

सपनों में तुझे बुलाने लगा

नयन भी कुछ कम न थे

तुझे देखे बिना चैन न थे

बस अधर चुप थे

शब्द कहीं गुम थे

पर मुहब्बत भला कब छुपती है

ये रोके से कहाँ रुकती है

होने लगी हर जगह बातें

कुछ तेरी बातें कुछ मेरी बातें।

नमिता सिंह ‘आराधना’

 अहमदाबाद