दरवाजे की सांकल
देती प्रेम का संदेश
धूप,ठंड,बरसात के
मौसम हो जाते फीके
जब किसी का हो
इंतजार।
प्रेम संदेश
मोबाइल के युग मे पड़े फीके
हाथों से लिखे खत में
प्रेम की परिभाषा होती अमर।
प्रेम के आसार
उम्र भर देते साथ
बूढे हो जाने पर
प्रेम की हवा
बजते गीतों
पुराने घरों,गलियों से
अब नही पुकारती
किंतु एक मर्मस्पर्शी
अहसास अवश्य देती
जिसके सहारे आज प्रेम की
आत्मा अमर है।
उम्मीद होती बरकरार
पुनर्जन्म में कभी
फिर से मुलाकात हो
संजय वर्मा”दृष्टि”
मनावर जिला धार मप्र