फ्रेंड रिक्वेस्ट

“पता है इतने वरिष्ठ लेखक ने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी।”

 वो अपनी बात शुरू ही करने जा रही थी की उसने उसकी बात हंसते हुए काटी और मुस्कुराते हुए कहा, “अब आगे की कहानी मैं तुम्हे सुनाती हूँ ।” 

फिर तुम उनकी भेजी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नही कर पायी होगी?

सोचो ऐसा ही हुआ था ना..।

फिर तुमने उन्हें मैसेज किया होगा की sir मैं आपकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नही कर पा रही हूँ । 

फिर उन्होंने कटिली मुस्कान बिखेरते हुए कहा होगा (मतलब मैसेंजर में लिखा होगा) अरे! इतनी सी बात अभी जगह करते है आपके लिए। 

फिर अपनी पाँच हजार की लिस्ट में से कुछ लेखकों को बिना गुनाह नौ दो ग्यारह किया होगा ( क्योंकि वो नवांकुर अब उनके किसी काम के नही)

फिर उन लोगो को निकालते ही, उन्होंने आपको मैसेज किया होगा की, अब आप मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर सकती है।

आपने खुद पर गर्व महसूस किया होगा कि इतने बड़े लेखक ने मेरे लेखन से प्रभावित होकर मुझे रिक्वेस्ट भेजी । तो आप शीघ्र प्रभाव से उनकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते हो। उसके बाद कहानी रूप लेती है, उन्होंने लिखा होगा कि मैंने काफी साल पत्रकारिता के साथ फोटोग्राफी की है आपका चेहरा बहुत फोटोजेनिक है। ( आपकी वॉल पर अमूमन आपकी सारी सुंदर तस्वीरों पर लाइक का बटन दबा चुके है)

फिर वो करते है मुद्दे की बात, वो आपको कहते है कि, आप अपना पता भेजे मुझे आपको मेरे संग्रह भेजने है। (आप खुश हो जाते हो की वाह! इतना बड़ा लेखक मुझे पढ़ने के लिए अपना संग्रह भेज रहा हैं ।) 

आप आसमान पर लैंड ही करते हो की उनकी तरफ से आपको जमीन पर लाया जाता हैं दूसरी पंक्ति में लिखा होता है की संग्रह के लिए इस अकाउंट नंबर में रुपए जमा कर दे ।

आप फिर भी खुश होते हो, ये सोच कर की जुम्मा – जुम्मा कुछ दिन हुए लिखते हुए और इतने वरिष्ठ लेखक ने आपसे खुद संपर्क किया, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और संग्रह भी भेज रहे है। तो आप रुपए अकाउंट में डिपोजिट कर देते हो ।

उसके बाद वो आपको अपने वॉट्स ऐप समूह से जोड़ते है। आपको संग्रह मिलने की सूचना देने को कहते हैं । आप सूचना देते हो, तो वो तपाक से, आपसे चाशनी लपेट कर शब्दों में कहते है, संग्रह के साथ अपनी खूबसूरत फोटो मुझे भेजे, मुझे अपनी वॉल पर साझा करनी है। 

आप संग्रह के साथ अपनी फोटो भेज देते है ( कैमरे का कमाल आज कल फोटो में सब सुंदर ही दिखते है)

वो तुरंत आपकी फोटो अपनी वॉल पर साझा करते है और फिर बाद में मैसेज भी करते है, मेरी मेहनत सफल हुई, देखिए कितने सुंदर कॉमेंट आ रहे है आपकी फोटो पर। फिर अपने दूसरे संग्रह को भी आपको भेजने की बात के साथ कहते है चलिए अपनी कोई रचना भेज दीजिए आपको प्रकाशित करवाते है। बस ये सुन कर तो आप अंबर के भी पार उड़ने लगते है । 

आप उनके अगले संग्रह के लिए भी उनके अकाउंट में रुपए जमा करते है और अपनी एक रचना उन्हे भेज देते है। अगले ही सप्ताह आपकी रचना अखबार में स्थान पाती है आप खुशी से झूम उठते है। 

उसके बाद कहानी खत्म ।

वो वरिष्ठ कभी आपकी लिखी किसी रचना पर दो शब्द कभी नही लिखेंगे।

हा, कुछ महीनो में आप समझदार हो जाते हो, आप देखते हो की केवल सुंदर महिलाओं की तस्वीर पर उनके कॉमेंट आते है, कुछ दिन बाद उन महिलाओं के हाथ में सजी उनके संग्रह की तस्वीर से वो अपनी वॉल सजाते है, ये क्रम चलता रहता है, पाँच हजार का आंकड़ा बरकरार रहता है, सुंदर दिखने वाली महिलाएं उनकी लिस्ट में स्थान पाती रहती हैं। उनको स्थान देने के लिए गैर जरूरी को निकाल दिया जाता है। 

कुछ महीनो बाद वो आपको बिना सूचना दिए आपके द्वारा की गई कोई गलती के बिना आपको अपने वॉट्स ऐप समूह से निकाल देते है (जैसे गूगल की नौकरी छीन ली हो ) 

वो वरिष्ठ अपने संग्रह सुंदर महिलाओं को चिपकाते – चिपकाते एक, दो, तीन.. पाँच संग्रह प्रकाशित करते रहते है। 

सौ किताब छपवाई, उसको चिपकाई, पैसे अकाउंट में और उस पर तमका ये की लेखन और प्रकाशन के सिवा किसी और बात में कोई दिलचस्पी नहीं। 

“अब बताओ ये ही बताना चाहती थी न तुम मुझे।” उसने उसको मुस्कुराते हुए पूछा ।

पिछले चार सालों में तुम चालीसवीं हो, जो मुझे ये बता रही है की तुमसे, तुम्हारे लेखन से प्रभावित होकर उन्होंने तुम्हे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी ।

मैं तो जब भी उनकी वॉल पर सुंदर महिला की फोटो देखती हूँ ये पंक्तियां गुनगुनाते लगती हूँ,  कितने अजीब रिश्ते है यहां पर, दो पल मिलते है, साथ साथ चलते है…। 

रूपल उपाध्याय, मन बंजारा

बड़ौदा, 7043403803