चुप रहना मेरी कमज़ोरी नहीं

चुप रहना मेरी 

 कमज़ोरी नहीं

 न आदत 

बस ये तो रिश्तों

का लिहाज़ है

दोस्ती का मान

व्यक्तित्व का सम्मान

जो होंठों पर चुप

की उंगली है ।।

चुप रहना मेरी 

 कमज़ोरी नहीं

 न आदत 

बस ये तो अनकहा दर्द 

और टीस  है

जो रहती दिल की दिल में

बन खामोशी का पहरा ।।

चुप रहना मेरी 

 कमज़ोरी नहीं

 न आदत 

बस खामोश रहते हैं की

दिल दुखे न किसी का

शब्द के अनदेखे तीरों से

जैसे अक्सर छलनी हुआ

दिल अपना 

बस इसलिए रहता होंठों 

पर उंगली का पहरा

जाने अनजाने भी लग न जाये

ठेस किसी को कभी भी।।

…..मीनाक्षी सुकुमारन

          नोएडा