गीत

सिर पर हाथ पलोसन वाले।

निरछल सच्चे भोले भाले।

सबकी बेटी को बेटी कहते।

सच्ची मर्यादा में रहते।

जाते थे सत्कारे लोग।

किधर गए वो प्यारे लोग।

बैलों के संग घुंघरू छनकन।

पैरों में है लय की थरकन।

हल पंजाली लेकर जाते।

शाम ढले को वापस आते।

मेहनत के बंनजारे लोग

किधर गए वो प्यारे लोग।

बैठक में मिर्ज़ा गाने वाले।

जीत का जज़्बा पाने वाले।

रल-मिल भंगड़ा डलवाने वाले।

रूठे यार मनाने वाले।

देते ख़ूब नज़ारे लोग।

किधर गए वो प्यारे लोग।

बच्चे मुफ्त पढ़ाने वाले।

भक्ति बल सीखाने वाले।

पुत्रों भांति पालने वाले।

कुकर्म से टालने वाले।

सच्चे तारनहारे लोग

किधर गए वो प्यारे लोग।

सफर में देख पंजाबी मुंडे।

ज़ुर्रत नहीं करते थे गुंडे।

बेटी बहनें चैन में रहती।

दिन हो या फिर रैण में रहती।

इज्जतदार न्यारे लोग

किधर गए वो प्यारे लोग।

बेटी-दामाद गाँव में आए।

हर कोई श्रद्धा भाव बुलाए।

कुड़िए राज़ी बाजी है ना।

सास-ससुर भी राजी है ना।

जाते वारे वारे लोग

किधर गए वो प्यारे लोग।

ठंडी शीत हवाओं भीतर।

सांझ प्रीत की छाँओं भीतर।

अंगुली लगा कर हँसते जाते।

जीवन क्या है यह समझाते।

लगाते नहीं थे लारे लोग

किधर गए वो प्यारे लोग।

दिन रात जो लौ में जलते।

मुफ्त सेवाएं देकर चलते।

मानवता में जीते-मरते।

‘बालम’ धरती के दुख जरते।

सूरज चाँद सितारे लोग।

किधर गए वो प्यारे लोग।

बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)

मो. 9815625409