टूटे वृक्ष निशानी की बात कोई ना।
छांव बीच जवानी की बात कोई ना।
ग्हरे गहरे पानी को लाँघ गए हैं,
छिछले-छिछले पानी की बात कोई ना।
अपने ही साथ रहे दुख-सुख व्यथा में,
रूठे हुए प्राणी की बात कोई ना।
अक्षरों के साथ सदा रहे हैं याराने,
नाकामी शैतानी की बात कोई ना।
घर की ज़िम्मेवारी आँख भी ना उठ पाई,
गेरे कंठ में गानी की बात कोई ना।
च्ल मन मेरे यहाँ क्या हम ने करना,
महफिल में दिल जानी की बात कोई ना।
तारे चाँद सूरज इक्ट्ठे हो नहीं सकते,
नभ की मेहर बानी की बात कोई ना।
बंद डिब्बों भीतर है पकवान तेज़ाबी,
मटकी और मथानी की बात कोई ना।
खुशबू, मयख़ाने, घूमे देष विदेशों, (देश)
’बालम‘ बीच नादानी की बात कोई ना।
बलविंदर ’बालम‘ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)
मोः 9815625409