नई सुबह।

हम तो बस देखते रहते हैं,

नई सुबह कब आएगी।

जमाने ने सीखाए हैं,

बतलाए गए भी है,

यह एक दिन जरूर आएगी।

किस्म -किस्म के लोगों से,

मुलाकातों का सफर,

बहुत सुंदर कभी कड़वी,

यादों के झरोखे में,

एक मन के आंगन में जाकर,

आज़ भी छिपी हुई है।

फिर भी कुछ का कहना,

यह ठीक लगता है कि,

नई सुबह जरूर आएगी।

बहुत गिले-शिकवे रहने पर भी,

बचपन मुरझाने नहीं दें हम,

कुछ आश रख,

मत बदरंग कर अपने को,

एक सुंदर सुबह जरूर आएगी।

अपने पराए में भेद मिटाने में,

क़दम उठाने होंगे,

अब हमें हम को,

बचपन मुरझाने के दिन,

अब आने लगे हैं,

जवानी नहीं रहेगी,

अनंतकाल तक यहां,

दोस्तों को हम कैसे ,

भूला पाएंगे हम।

उनके किरदार भी रहे हैं ,

बहुत यादगार पल की तरह,

आज़ तक नहीं हो पाया है,

तो फिर कल के लिए मत टाल,

यादों में खोकर,

खूब खुशियां बटोरने में लग।

जो कुछ भी हों,

घबराना मत,

एक दिन सुबह जरूर आएगी।

आज़ हम-सब मिलकर,

पा लेंगे हम से हम सब,

ज़िन्दगी एक सफ़र है,

मत कर आज़ और कल अब।

संभलकर चलना चाहिए।

मुश्किल सफर में यह,

बातें समझनी होगी।

घबराना नहीं होगा अब हमें,

फिर गुदगुदी सी पहल हरपल,

हमें करनी होगी।

कुछ कहना है तो,

फिर  घबरा मत,

ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से बेवफ़ाई,

एक फितरत है।

मजबूती से पकड़ कर ,

अपने को रोक ,

पूरानी गलतियों से,

कुछ-कुछ सबक सीख,

ज़िन्दगी आबाद कर,

इसे मत मुरझाने दें।

नई सुबह जरूर आएगी एक दिन,

बस तन्हाई समेटते हुए,

भीड़ में जाने की पहल कर,

ज़िन्दगी के इस खुबसूरत पलों को,

अब मत मुरझाने दें,

जश्न मनाने में जुट,

नई सुबह एक दिन जरूर आएगी।

ख़ूब मस्ती से सुन-सुन जरूर,

एक शोर आ रही है कि,

नई सुबह  की आगाज़ है यह,

एक दिन सुबह जरूर आएगी।

डॉ० अशोक,पटना,बिहार।