नई दिल्ली । कांग्रेस नेता और मनमोहन सरकार में पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि चुनाव आयोग अदालत नहीं बल्कि एक प्रशासानिक निकाय है और वह शिकायतों पर विचार करते समय अदालत की तरह व्यवहार नहीं कर सकता। वोट चोरी के आरोप पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी करने पर चिदंबरम ने यह टिप्पणी की है।
निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल उठाकर चिदंबरम ने कहा कि चुनाव आयोग को अदालत की तरह कतई व्यवहार नहीं करना चाहिए। चुनाव आयोग का काम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। चिदंबरम ने नियम 20(3)(बी) का हवाला देकर कहा कि यह नियम मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के दावों पर लागू होता है। यह नियम पूरी विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में गड़बड़ी के मामले में लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का कर्तव्य सिर्फ राजनीतिक दलों के प्रति नहीं, बल्कि देश के मतदाताओं के प्रति भी है।
दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की प्रतिक्रिया राहुल गांधी को कर्नाटक के सीईओ द्वारा भेजे गए पत्र के बाद आई है। सीईओ ने राहुल गांधी से उनके आरोपों के समर्थन में दस्तावेज मांगे है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि एक महिला मतदाता ने पिछली लोकसभा चुनाव में दो बार वोट डाला था।
सीईओ ने अपने पत्र में राहुल गांधी के प्रेसवार्ता का जिक्र किया है। राहुल गांधी ने कहा था कि उनके पास दस्तावेज मौजूद है। उन्होंने दावा किया था कि वोटर शकुन रानी ने दो बार वोट डाला, जिसके रिकॉर्ड पोलिंग बूथ के अधिकारी ने दिए हैं। राहुल गांधी ने कहा था, इस आईडी कार्ड पर दो बार वोट लगा है, वहां जो टिक है, पोलिंग बूथ के ऑफिसर की है। सीईओ ने राहुल गांधी से कहा कि वे उन दस्तावेजों को पेश करें जिनके आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि शकुन रानी या किसी और ने दो बार वोट डाला है, ताकि इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की जा सके।