तुम ख्वाहिशों की बातें मत करो,
तेरे पल पल के सांसो में शामिल हूं ।
यकीं ना हो तो धड़कनों से पूछ लो,
तेरे रग रग के नसों में शामिल हूं ।
कई दोस्त मिले होंगे सफर में,
हमसफर हूं खासों में शामिल हूं ।
बेशक मेरे नाम से धड़कता ना होगा दिल,
इश्क़ ना हो मुझसे पर सांसों में शामिल हूं ।
दोनों हाथ उठा दो दुआओं के तुम,
तेरी रहमत तेरे ख्वाहिशों में शामिल हूं ।
न जाने किस मोड़ पर मुलाकात हुई,
मुकद्दर ए जिंदगी अनायासों में शामिल हूं ।
मेरे मुकद्दर के राजदार हो तुम,
शुक्र गुज़ार के एहसासों में शामिल हूं ।
लगा दे पंख परवानों के !
सजा दे मंच अरमानों के !!
फिलहाल जिंदा हूं ,
शर्मिंदा हूं जिंदा लाशों में शामिल हूं ।
मनोज शाह ‘मानस’
सुदर्शन पार्क, नई दिल्ली