ग़ज़ल..

डर मुझे कुछ नहीं जमाने का !!

डर है बस उसके रूठ जाने का !!

वो न कश्ती में मेरे साथ चलें..

हो जिन्हें खौफ डूब जाने का !!

फिर सुनाऊँगा हाले दिल तुमको..

वक्त आया अगर सुनाने का !!

कब तलक उसकी जाँ बचाओगे..

हो जिसे शौक जहर खाने का !!

वो सुनेगा नितान्त के अशआर..

है जिसे शौक गुनगुनाने का !!

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज.. उत्तर प्रदेश