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एक बदनाम शुदा पटवारी ,
जब सेवा निवृत्त हुआ,
भगवान से मांगने लगा दुआ___”हे प्रभु!
बिना पदोन्नति के मैने
चालीस साल तक
पटवारी नौकरी में बिता दिया,
सिवाय चढ़ोत्री लेने के क्या किया?
किसान की ज़मीन को,
अपने बाप की समझकर,
किसानो को सताता रहता था,
इसकी ज़मीन को उसकी और
उसकी ज़मीन को इसकी बताता रहता था?
बेचारा किसान, तंग आकर,
कहीं न कहीं से, जुगाड़कर,
चंगे चंगे करारे नोट दे जाते थे,
हम भी कितने बड़े कलाकार हैं,
उसी की ज़मीन, उसी को देकर भी,
उस पर अहसान जताते थे;
अब मुझे , पेट दर्द की शिकायत है,
घर में बैठे बैठे, मेरी अब क्या आयत है!
मेरे लिए न जाने, किसानो का क्या मन हाेगा?
क्या मेरे इस दर्द का परिसीमन हाेगा??
पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली