बहुत याद आते हैं

वो पैगाम-ए-मोहब्बत

वो राहें-मोहब्बत

वो वादा-ए-मोहब्बत

….बहुत याद आते हैं!

वो मोहब्बत की बातें

वो सिलसिला-ए-मोहब्बत

वो तहरीर-ए-मोहब्बत

…….बहुत याद आते हैं!

वो इशारों की भाषा

गली के नुक्कड़ पर

खतों की अदला-बदली

वो बमुश्किल मुलाकातें

वो मिलने की उत्सुकता

………बहुत याद आते हैं!

वो गांव, वो डगर

वो झील के किनारे

जहां मिलते थे तुम बाहें पसारे

…. बहुत याद आते हैं!

वो हया के पर्दे में

चेहरा छुपा के

सिमट जाते थे

हम भी नज़रें झुका के

पाते थे जन्नत

मोहब्बत के घेरे में

…. बहुत याद आते हैं!

वो गफलत में हमारा

घर का रास्ता भूल जाना

बातों में तुम्हारी

हमारा मशगूल हो जाना

वो वक्त…,,,,

वो बातें….,,,,

वो दिन….,,,,

,,,,…..सब बहुत याद आते हैं!!

डॉ.मंजू वर्मा (भूतपूर्व प्रोफेसर, यू .एस.ओ.एल. पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)