दरमियान

 अजीब दरारें है मेरे और उनके दरमियान

वो मुझे हराने में लगे है

हम हार कर जीतने में लगे है…….

अजीब अनबन है मेरे और उनके दरमियान

वो दिखावे की जगमगाती रोशनी में गुम हो गए

और हम अँधेरे के सन्नाटे में सन्न हो गए…….

अजीब किस्सा है मेरे और उनके दरमियान

वो दिल तोड़कर मकान बनाते है

हम टूटे हुए दिल को जोड़कर घर बनाते है……

अजीब विरोध है मेरे और उनके दरमियान

वो रिश्तों की अहमियत न जानकार दूरियाँ बड़ाते है

हम रिश्तों की नज़ाकत देख नज़दीकियाँ बड़ाते है

अजीब कश्मकश की है दरमियान

वो साथ रहकर भी  साथ नहीं

हम पास रहकर भी पास नहीं

फिर भी साथ चल रहे है हम 

जीवन भर का रिश्ता निभा रहे है…..

 *संध्या जाधव, हुबली कर्नाटक*✍🏻✍🏻