धर्म के बिना विज्ञान निरर्थक, गोम्मटगिरि पर जैन संस्कृति एवं संस्कार पर संगोष्ठी शुरू –

:: अम्बेडकर विश्वविद्यालय महू एवं श्रमण संस्कृति विद्यावर्द्धन ट्रस्ट की भागीदारी में देशभर से आए विद्वान ::
इन्दौर । धर्म, संस्कृति और संस्कार देता है तथा विज्ञान उस पर काम करते हुए आगे बढ़ता है। धर्म के बिना विज्ञान निरर्थक है। यह पहला मौका है जब अम्बेडकर वि.वि. अपने परिसर से बाहर निकलकर इस तीर्थ के पवित्र परिसर में आया है। यहां एक ही मंच पर पारंपरिक एवं युवा विद्वान और समाजसेवी भी है। यह शुभ लक्षण है।
ये प्रेरक विचार हैं अम्बेडकर वि.वि. महू के डीन एवं प्रभारी कुलपति प्रो. डी.के. वर्मा के, जो उन्होंने आज श्रमण संस्कृति विद्यावर्द्धन ट्रस्ट इन्दौर एवं डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू के संयुक्त तत्वावधान में गोम्मटगिरि पर जैन संस्कृति एवं संस्कार पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। मीडिया प्रभारी महावीर जैन ने बताया कि इस संगोष्ठी में म.प्र., महाराष्ट्र, दिल्ली एवं उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के 30 से अधिक विद्वान भाग ले रहे हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में ज्ञानोदय फाउंडेशन के डॉ. सूरजमल बोबरा, हंसमुख जैन गांधी, अनिल जैन जेनको, पं. रतनलाल जैन, पं. रमेशचंद्र बांझल, डॉ. सुरेन्द्र पाठक, आयोजन समन्वयक जेनेश झांझरी, श्रीमती सुमन जैन, मुकेश डोसी भी मौजूद थे। सारस्वत अतिथि के रूप में पं. रतनलाल शास्त्री ने इस संगोष्ठी को एक सार्थक पहल बताया, वहीं पं. रमेशचंद्र बांझल ने कहा कि जैन धर्म व्यक्ति स्वातत्र्य एवं स्वतंत्रता का धर्म है और यही इसकी विशेषता भी है। इस अवसर पर गोम्मटगिरि दिगम्बर जैन ट्रस्ट एवं श्रमण संस्कृति विद्यावर्द्धन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने सभी आए हुए अतिथि एवं विद्वानों का सम्मान किया। डॉ. आम्बेडकर वि.वि. एवं अहिंसा, सोहार्द्र तथा जैन विरासत पीठ का परिचय डॉ. सुरेन्द्र पाठक एवं इंजी. कैलाश वेद ने दिया। आभार माना रवि गंगवाल ने। प्रारंभ में सभी आमंत्रित विद्वानों का पंजीयन महिला संगठन की ओर से श्रीमती उषा पाटनी एवं तनिष्का जैन ने किया।
प्रतिभागियों की ओर से विषय वस्तु की प्रासंगिकता पर बनारस हिन्दी वि.वि. से आए डॉ. संजीव सराफ एवं हंसमुख जैन गांधी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में जैन संस्कृति एवं संस्कार सारांश पुस्तिका का विमोचन भी अतिथियों ने किया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. सुरेन्द्र पाठक ने की एवं उसमें डॉ. संजीव सराफ एवं पं. विनोद कुमार रजवास ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी 25 एवं 26 दिसम्बर को भी जारी रहेगी।