दिल

पास से गुजरते ही वह दिल पर

गम की परतों को जान गए

कभी हमराज़ तो ना थे

पर फिर भी हाल ए  दिल वो जान गए

ऐसी उम्मीद तो अपनों से ना थी

जो अनजान हो कर अपना सा एहसास जता गए

दिल लगाने की सजा हम झेल रहे थे

वो मासूम सी नजरों से मलहम लगा गए

दूर तक नजरें जिस ढूंढ रही थी

वो बेआवाज खुशबू के झोंके की तरह गुजर गए

डूबती दिल की कश्ती को पार ना लगा सके

हाँ…साहिल पर एक बार फिर डुबो गए !

बेला विरदी 

1381, सेक्टर 18,अर्बन एस्टेट,

 जगाधरी-हरियाणा