खून से रिसता हुआ घाव लिखूं
घायल लिखूं
मृत प्रायः लिखू
या लिखूं अफगानिस्तान ।।
बंदूक लिखूं
बारूद लिखूं
बम के धमाके लिखूं या
जलता अफगानिस्तान लिंखु।
टूटी मीनारें लिखूं
ध्वस्त मकान लिखूं
सूली पर लटके सैनिकों के मांस के हिस्से लिखूं
या लिंखु अफगानिस्तान ।
कैसी संवेदना लिखूं
किस किस का दर्द लिखूं
परिजनो का रुदन लिखूं
मौत की विभीषिका लिखूं
या लिखूं अफगानिस्तान ।।
टूटी छत लिखूं
दरके हुए मकान लिखूं,
बिलखते बच्चे लिखू
रोती खातूने लिखू
या लिखूं अफगानिस्तान।
तालिबानी नरसंहार लिखूं हाहाकार लिखू
मासूम मौतों की
चश्मदीद चट्टान लिखूं
लिखू प्रस्तर,
या लिखू काबुल।
सिसकती वेदना लिखूं
मृत मानव लिखूं,
याचना लिखूं ,
दुर्भाग्य लिखूं ,
या लिखूं अफगानिस्तान।।
माँ का प्रलाप लिंखु,
पत्नी का चित्कार लिखूं,
अनाथ बच्चों का रुदन लिखूं,
या लिंखु अफगानिस्तान।
कांपती युवतियां बच्चे लिखूं
सहमी कविता लिंखु,
खामोश,उदास शब्द,
लड़खड़ाती पंक्तिया लिंखु
या फिर से लिखु अफगानिस्तान।।
संजीव ठाकुर,रायपुर छत्तीसगढ़,90 09 415 415,