खरा विकल्प

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क्या करूं, कहां जाऊं

जी करता है कि मैं

कैकेयी की तरह

कोप भवन में चली जाऊं!

किंतु मैं वहां जा कर

क्या करूंगी

किसे मनाऊं

किससे रूठूं

किसको सुनाऊं वेदना 

आज अपनों से ही मुझे

करना पड़ रहा है सामना

सुनने वाला वहां

राजा दशरथ भी तो हो!

जो दे वनवास!

या फिर

किसी को राजगद्दी! 

तो ऐसा करने से

क्या हल नहीं निकलेगा?

क्योंकि बरसों से

पंच तत्वों से निर्मित मानव ने

पंच विकारों में जकड़ कर

मेरे साथ छल किया है

स्वार्थों में गिरकर मानव ने

मुझे निर्बल किया है

जो जी में आया वो किया

पर्यावरण को दूषित किया

जन्म से निरी अक्षरा हूं

प्राणियों की बेबस धरा हूं

संतान के आगे पराजित

एक अधूरा संकल्प हूं

किसको दूं दोष

फिर भी खरा विकल्प हूं

तरुण कुमार दाधीच

36,सर्वरितु विलास,मेन रोड,

उदयपुर(राज) 313001

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