सफ़ेद कुर्ते की चमक बढ़ गयी ,जनाब की
लगता है तारीख आ गयी, छद्म चुनाव की
मटन-चिकन की थालियां और गंध है शराब की
लगता है दुर्दशा लिखी है, इस चुनाव की
दीवार पर है पोस्टर , उचक्के उम्मीदवार की
गोलियों से स्वागत होगा लगता, इस समाज की
बिक गयी है जनता इस कुर्बो-ओ-जवार की
फिर से मारी जायेगी हुक़ूक़ इन ,गवार की
रात भर चली है बात , वोटरों की जात की
फिर से बात दब जायेगी लगता है, विकास की।।
मनोज यादव ” विमल”
ग्राम – मजिदहाँ समूदपुर ,चंदौली उत्तर प्रदेश