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हर जगह मतभेद है
समाज हो या धर्म
दौहरा चरित्र नेताऔ का
उसे अपने कौम का दर्द
देश का क्यों चिंतन करे
चिन्तन तो खुद परिवार का
जनता तो होता भ्रमित है
जात पात में बांटा समाज
तुष्टीकरण का कारोबार तो
हर नेता का व्यपार है
शुभ चिन्तक परेशान अब
जाने होगा देश का क्या हाल !
शिवनन्दन सिंह
जमशेदपुर , झारख्णड !