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नए साल की मस्ती है
झूमी सारी बस्ती है।
गुड्डू, पिंकी मौज मनाते
छोटी गुड़िया हँसती है।।
थोड़ा-थोड़ा जाड़ा है
हमने खूँटा गाड़ा है।
डी जे हम लगवाएँगे
जमकर नाचें-गाएँगे।।
गुड़िया गाना गाएगी
सबको खूब रिझाएगी।
भोलू कविता बाँचेगा
टिंकू खुश हो नाचेगा।।
मीठी रबड़ी खाएँगे
मेरे पापा लाएँगे।
सब में रबड़ी बाँटेंगे
नहीं किसी को डाँटेंगे।।
कैलेण्डर फिर बदला है
एक जनवरी आई है।
दो हजार इक्कीस गया
अब तो बाइस भाई है।।
कॉपी हमने खोली है
वह भी हमसे बोली है।
एक-एक-बाईस लिखो
अब तो यह हमजोली है।।
हल्ला-गुल्ला मस्ती-मौज
करती हम बच्चों की फौज।
नए साल की खूब बधाई
सबको हम देंगे उस रोज।।
-गौरव वाजपेयी ‘स्वप्निल’