बुझी बुझी चिंगारी हूं मैं,आशा लेकर आई हूं।
नव प्रभात की नई किरण मैं,उषा बन कर आई हूं।।
नए जोश की नई हवाएं,राख उड़ा ले जाएंगी।
नए सत्र के नए सूर्य की,नई रोशनी लाएंगी।
उजले तन पर धूल नहीं,मैं मूरत बन कर आई हूं।
हीरा पन्ना माणिक मोती,नए नगीने लाई हूँ ।
शुभ कर्मों के पहन के गहने,मैं आशा लेकर आई हूं।
नवप्रभात की नई किरण मैं,उषा बन कर आई हूं।
बुझी बुझी चिंगारी हूं मैं,आशा लेकर आई हूं।
नव प्रभात की नई किरण मै,उषा बन कर आई हूं।
नव प्रभात के नव प्रयास मे,ये संकल्प हमारा हो।
ना भूखा हो,ना सूखा हो,ना अन्याय कभी,ना धोखा हो।
ना स्वप्न अधूरे हो पलकों में,मैं ऐसी आंखें लाई हूं।
लिए मशाल सुनो लाल सब,मैं नया संदेशा लाई हूं।
दर्द के बदले खुशियां बांटो,ये आशा लेकर आई हूँ।
नवप्रभात की नई किरण मै,उषा बन कर आई हूं।
नए सत्र में नए कार्य तुम,ऐसे करके दिखलाओगे।
बाधाएं जो राह रोकती,उन्हें पार कर जाओगे।
आतंकित प्यासी मछली मै,जाल में फस के आई हूं।
भ्रष्टाचार,साम्राज्यवाद के;कांटे से बचके आई हूँ।
नीर अगाध मिले हम सबको,ये आशा लेकर आई हूं।
नव प्रभात की नई किरण मै,उषा बन कर आई हूं।
बुझी बुझी चिंगारी हूं मैं,आशा लेकर आई हूं।
श्रीमती सूर्यकांति चंदेल “क्रांति”
(सेवानिवृत्त प्राचार्य ) क्षपणक मार्ग,उज्जैन ,मध्य प्रदेश
MO-9753560666