जो लम्हे

जो  लम्हे गुजर चुके 

आएगा ना अब ख्वाब में 

नये चेहरे मिल चुके है 

पुराने अभी भी  गांव में  

था पुराना पेड़  जो 

धीरे धीरे  झड़ चुके है

कुछ सुनहरे पत्ते जो 

है अभी भी ख्वाब में 

झड़  चुके जो  पत्ते 

आंगन की वो शोभा थी 

आ गये है पत्ते नये  

पेड़ के उस डाल में 

बीते अब लम्हे सुनहरे 

पेड़ के उस  छांव में

है दुआ ये ले लो मेरी 

पायल सजे तेरे पांव में

प्रियंका वल्लरी

बहादुरगढ़ हरियाणा