वो आखिरी रात

होगी वो रात जब होगी मेरी आंखें यूं 

इस तरह बंद की वो फिर कभी ना खुले

 होगी वो रात जब होगी मेरी धड़कने मंद यूं

इस तरह की फिर कभी ना धड़के

होगी वो रात जब मेरे अल्फाज थम से जायेंगे यूं

इस तरह की फिर कभी नहीं कहे जायेंगे

होगी वो रात जब छूटेंगे मेरे हाथ अपनों से यूं

इस तरह की फिर कभी नहीं थमेंगे

होगी वो रात जिसकी सुबह नही होगी कभी

होगी वो रात जिसे शायद मैं फिर कभी ना जी पाऊं

है थोड़े गीले सिकवे उनसब से जो है मेरे अपने

मिट जायेगी वो भी बहुत जल्द ही 

जब वो आयेगी वो आखिरी रात

आखिर कभी तो आयेगी वो रात..

Bimal Jha(Babli)

S. Makandpur ,Naugachia