जीवन के फूलों-शूलों से
हमने नित श्रृंगार किया
जीवन एक चुनौती है,
मैंने ये स्वीकार किया।
क्षणभंगुर हैं जीवन के ये रंग
विष वर्षण होता सुधा के संग
देखकर जीवन की चुनौतियाँ
अक्सर रह जाती हूँ मैं दंग।
प्रेम-मंदिर में आस्था पुष्पों को
अर्पित साथी हर बार किया।
जीवन एक चुनौती है,
मैंने ये स्वीकार किया…
धूप -छाँव सा होता जीवन
रोता-हँसता नित अंतर्मन
भूमि पर रहकर बावरा मन
स्पर्श करना चाहे नीलगगन।
पतझर के मौसम में को हमने
हौसलों के शोणित से बहार किया।
जीवन एक चुनौती है,
मैंने ये स्वीकार किया…
प्रीति चौधरी”मनोरमा”
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश