*कलरव*

कलरव है जिन्दगी का

इन आते -जाते खिसकते लम्हों का।।

कलरव है मौन का

इस गहराते सन्नाटे मे ,

उठती चीख का।।

कलरव है प्रेम का

इन टूटते बिखरते,रिश्तो का।।

कलरव है सांसों के स्पन्दन का

इन घटती बढ़ती जिन्दगियों का।।

कलरव है समुद्र का

इसमे  आते-जाते ज्वारभाटे का।।

कलरव है पक्षियों का

उनके क्रदन,रुदन, चहचाहट का।।

कलरव है दर्द का

इन सिमटे,बिखरे रिश्तो का।।

कलरव है अपनो से मिले घाव का

उनके कच्चे-पक्के मरहम का।।

कलरव है कामनाओं का

ह्रदय में उठती भावनाओं का।।

कलरव है नदियों का

समंदर को पाने की लालसा का।।

कलरव है चारो ओर अपराधो का

उसके बढ़ते ख़ौफ़ का।।

कलरव है चारो तरफ गीत का 

इन आती-जाती ध्वनियो का।।

कलरव है……✍️

    डॉ वंदना मिश्र मोहिनी

166 कान्यकुब्ज नगर इंदौर

पिन कोड 452005