बैल जों कभी हर खेत की शान हुआ करते थे।
किसान के संग वो भी किसान हुआ करते थे।
समय की गति बहुत ही तेज हो गई
रेल के आगे बैलगाड़ी फैल हो गई
सुन्दर बैलों की जोड़ी जैसे लुप्त हो गई
मशीन के आगे परंपराएं जैसे सुस्त हो गई
किसान भी फेरे लेते साथ पीठ छुआ करते थे
बैल जो कभी हर खेत की शान हुआ करते थे।
खेती किसानी में आया जबसे ट्रैक्टर
जरूरी है समझना अनुपयोग का फैक्टर
इंसान जुताई के अलावा उपयोग सोच ही न सका
इस पर शोध न हुआ इस बात पर इंसान था थका
हर घर पे अतिथि को पहले बैल मिला करते थे
बैल जो कभी हर खेत की शान हुआ करते थे।
शिव का अंश लिए मानव का संग लिए
कई युद्ध में देवताओं के साथ जंग लिए
इतिहास में इनका सही उपयोग आधुनिक हो न सका
बुद्धि भी मानव की इनको नया उपहार फिर दे न सका
बारिश के मौसम में इन्हीं के उत्सव दिखा करते थे
बैल जो कभी हर खेत की शान हुआ करते थे।।
उमाकांत यादव उमंग
डभौरा रीवा