“मेरा प्यारा गांव”

  मेरा सुंदर प्यारा गाँव है

  मेरा सुंदर न्यारा गाँव है।

        जहाँ बरगद का छाँव है

        जहाँ पीपल का छाँव है।

जहाँ पंछी का चाँव-चाँव है

जहाँ सुर-संगीत का भाव है।  

      जहाँ रवि को पहले प्रणाम है

      जहाँ करते पहले ये काम है।

जहाँ करते जलाभिषेक है

जहाँ करते काम विशेष है।    

जहाँ तुलसी माँ का सम्मान है

जहाँ मंदिरों में स्तुति गान है।       

       जहाँ ग्वाल-बाल गायें चराते हैं

       जहाँ बंशी की धुन मन भाते हैं।

जहाँ गायें व बछड़े रम्भाते हैं

जहां ग्वालों के टेर सुनाते हैं।   

     जहाँ रहँट-घिरनी की धुन आती है

     जहाँ पनघट की आभाष कराती है।    

जहाँ खेतों में फसल लहलहाते हैं

   जहाँ खुशी के गीत गाते हैं।

     जहाँ बगीचों में फूल मुस्काते हैं

     जहाँ रसीले फल मन लुभाते हैं।

          जहाँ तालों में कमल मुस्काते हैं

          जहाँ स्वच्छ जल लहरा लगाते हैं।

जहाँ जंगल-पठार मन को भातें हैं

जहाँ के हरियाली मन को सुहाते हैं।

      जहाँ शीतल मन्द सुंगन्ध हवाएँ हैं

     जहाँ सुमधुर मनमोहक फिजाएँ हैं।

जहाँ के नर-नारी ये पैगाम देते हैं

जहाँ कर्तव्य सदा यह निभाते हैं।

      जहाँ स्नेह-प्रीत के गीत ये गाते हैं

      जहाँ धर्म चरित की कथा सुनाते हैं।

अशोक पटेल”आशु”

व्याख्याता-हिंदी

तुस्मा,शिवरीनारायण(छ ग)

9827874578