गीत

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क्यों हैं आंखों में आँसू बताओ जरा

दर्द दिल में तुम्हारे है कितना  भरा

है उदासी बहुत कौन सी बात थी

बीता कैसे वो दिन गुजरी वो रात थी

बिना मौसम के शायद वो बरसात थी

या कि कुदरत की शायद करामात थी

ऐसा लगने लगा कि मैं शायद मरा

क्यों हैं आंखों में आँसू बताओ जरा ।।

यहाँ जीवन के सबकी कठिन है डगर

जीना पड़ता है उनके लिए बस मगर

यूँ तो हमराह बनते मिले हर सफर

हम घरौंदे बनाते  रहे हर शहर

यूँ तो रह जायेगा सब यहीँ पर धरा

क्यों है आँखों मे आँसू बताओ जरा ।।

रहा कष्टों का हरदम बड़ा सिलसिला

तुम जब भी मिले मैं हँसकर  मिला

अब न मुझको रहा कोई शिकवा गिला 

हुआ पतझड़ मगर फूल फिर से खिला

खूब महके चमन रहे  फिर  से हरा

क्यों है आँखों  में आँसू बताओ जरा ।।

                              रमानाथ शुक्ल “रमन”

                                    कानपुत