मीलॉर्ड! वक्फ संशोधन बिल की तत्काल सुनवाई हो, सीजेआई बोले इसके लिए पत्र लिखें

नई दिल्ली । वक्फ संशोधन बिल की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने की मांग सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में उठाई। इस पर सोमवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि कोर्ट में केसों की लिस्टिंग की एक मजबूत व्यवस्था है। इस तरह मौखिक तौर पर नहीं कहा जा सकता कि आप इस मामले की तत्काल सुनवाई करें। यदि आपको किसी मामले को अर्जेंट लिस्ट कराना है तो फिर उसके लिए पत्र लिखें और वह मेरे समक्ष लाया जाए।
इस पर सिब्बल ने कहा कि ऐसा पत्र पहले ही लिखकर जमा किया जा चुका है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है फिर जब मेरे पास पत्र आ जाएगा तो मैं जरूरी कदम उठाऊंगा। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसी सभी याचिकाएं मेरे समक्ष दोपहर में रखी जाती हैं। ऐसे में उसके लिए अलग से जिक्र करने की जरूरत नहीं। कपिल सिब्बल का कहना था कि कोर्ट तुरंत उस अर्जी पर सुनवाई करे, जिसे जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मुखिया मौलाना अरशद मदनी ने दायर की है। ऐसी ही मांग वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और निजाम पाशा ने भी दोहराई। इनका भी कहना है कि वक्फ बिल असंवैधानिक है और कोर्ट को उसे खारिज कर देना चाहिए।
पाशा और सिंघवी की ओर से उस अर्जी पर प्रतिनिधित्व किया जा रहा है, जिसे एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने दाखिल की है। इस पर भी चीफ जस्टिस ने कहा कि हम किसी मामले की लिस्टिंग से पहले उसके बारे में जानते हैं।
वक्फ बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं में एक्ट को ही चैलेंज किया गया है। इस एक्ट में वक्फ बोर्ड के संचालन, रेगुलेशन के नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं। इसके तहत अब आदिवासी इलाकों में किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी मामले में वक्फ ट्राइब्यूनल के अलावा स्थानीय अदालतों से लेकर ऊपरी अदालतों तक में केस दाखिल हो सकते हैं औऱ उनका फैसला ही अंतिम माना जाएगा।
केंद्र सरकार का कहना है कि नए विधेयक से वक्फ बोर्ड का संचालन अच्छे से होगा और व्यवस्था में सुधार हो सकेगा। सरकारी सूत्रों का कहना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर मुतवल्लियों यानी केयरटेकर्स ने ही अवैध कब्जा जमा रखा है। इन सबको देखते हुए वक्फ बिल लाया गया है।