लिखते होंगे दर्द सभी मैं हौसला लिखना चाहती हूं
जिंदगी की कशमकश से टकरा कर भी जो टूटे ना ,
वह उम्मीद, वह मरहम, लिखना चाहती हूं…
लिखते होंगे दर्द सभी ,
मैं हौसला लिखना चाहती हूं….।
फैला हो जब घोर तमस,
मिल ना पाए जब भोर की झलक
उदासी फैलाए उन लम्हों में भी ,
लिखते होंगे अंधियारा सभी
मैं भोर की पहली उद्दीप्त किरण लिखना चाहती हूं..
लिखते होंगे दर्द सभी,
मैं हौसला लिखना चाहती हूं…।
जिस का रण रहा आसमाँ कभी,
जिसके पंखों ने नापी दुनिया सभी
उस परिंदे को घायल जमीन पर देख
लिखते होंगे नाकामयाबी सभी
मैं मिलो की उड़ान को लिखना चाहती हूं
लिखते होंगे दर्द सभी ,
मैं हौसला लिखना चाहती हूं…..।
स्वाति गावडे
इंदौर, मध्य प्रदेश)