चुनावी मौसम के तीर

     1. मुंगेरीलाल के सतरंगी सपने।

         अपनी ढपली राग भी अपने।

         बदल के टोपी जमाये गोटी,

         भोली जनता को आये ठगने।। 

   2. जातियों का भ्रमजाल तोड़ना, 

       नामुमकिन – सा लगता है। 

       चुनावी अखाड़ा तो हर बार, 

       इन्हीं बन्दरवारों से सजता है।। 

3.  शिक्षा – सुरक्षा- रोजगार 

     स्वास्थ्य की गारंटी विकास की रफ्तार। 

     पुराने जुमले हथकंडे सब बेकार, 

     देश की जनता खबरदार! होशियार।। 

 4.जनता हमेशा की तरह, 

    इस बार भी छली जायेगी। 

    अवसरवादी राजनीति, 

    नये – नये गुल खिलायेगी।। 

5. जनता का घोषणापत्र, 

    जनता के द्वारा बनाया जाये। 

    जीतने वाले हर नेता से, 

    उसे लागू करवाया जाये। 

6. न्यू इंडिया स्किल इंडिया और 

    डिजिटल इंडिया के दीवानों। 

    छोड़ पुराने मिथकों को, 

    अपनी ताकत को पहचानो।। 

      नरेन्द्र सिंह नीहार 

       नई दिल्ली