“पांगणे बेहड़े दे फिंहू लगीरा फाहीं,
बेटड़ी धीजो लाम्बीया झाम्बीया,भेड धीजो कसाई।”
सुकेत राज्य का पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ऐतिहासिक दृष्टि से त्रिगर्त,कुल्लू, बुशैहर और चम्बा की तरह प्राचीन काल में महत्व रहा है।सुकेत भागवत परायण व्यास ऋषि के पुत्र शुकदेव जी पावन स्थली रही है।सुकेत शुक क्षेत्र या सुक्षेत्र का ही अपभ्रंश है।सेनवंश के राजकुमार वीरसेन ने 765 ईश्वी में तत्तापानी से सुकेत में प्रवेश कर यहाँ के क्षेत्रीय शासकों राजाओ और ठाकुरों को पराजित कर छोलगढ के अंतर्गत सरही के ठाकुर के अधीन पांगणा में सुकेत राज्य की नींव रखी।वीरसेन ने सुकेत में राज्य की नींव यहां की बर्बर जाति डून्गर को कलकत्ता की महाकाली की मदद से सर्वनाश कर रखी।वीरसेन ने श्रद्धा स्वरूप महामाया राज-राजेश्वरी को अपने दुर्ग मंदिर प्रतिष्ठित किया।सुकेत की राजधानी पांगणा में राजधानी होने के कारण कई घटनाओं का लोक साहित्य में भी विलय देखने को मिलता है।
1240 में सुकेत राज्य की राजगद्दी प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी न होने के कारण राज परिवार के रिश्तेदार लियून-फियून को सुकेत का शासक नियुक्त किया गया।लियून फियून लापरवाह और डरपोक शासक सिद्ध हुआ।एक आदर्श शासक के स्वाभाविक गुणों का उसमें अभाव था।अतः राज दरबारियों ने लियून फियून को अपदस्थ कर किसी योग्य और पात्र व्यक्ति को राजगद्दी पर बैठाने की चाल चली।उन्होंने दरबार में भोज का आयोजन किया।जब सभी लोग भोज करने लगे तो दरबारियों ने उसी समय अफवाह फैलाई कि रियासत पर शत्रुओं ने धावा बोल दिया है।आसन्न संकट की इस विकट घड़ी में लियून फियून निश्चिन्त होकर भोजन करता रहा।राज परिवार और दरबारी अचम्भित होकर राजा के असावधानी पुर्वक व्यवहार से रूष्ट हुए।तत्क्षण मदनसेन नाम का राज परिवार का रिश्तेदार मदन ने भोजन मध्य में छोड़कर तत्काल कार्यवाई करने के लिए आह्वान किया।सभी दरबारी मदन के राज्य के प्रति प्रेम भाव को देखकर बहुत प्रभावित हुए और उन्हें तत्काल सुकेत का राजा बना दिया। लियून फियून के विषय में एक लोकोक्ति पांगणा-सुकेत में प्रसिद्ध रही है_
“पांगणे बेहड़े दे फिंहू लगीरा फाहीं,
बेटड़ी धीजो लाम्बीया झाम्बीया,भेड धीजो कसाई।”
इस लोकोक्ति में लियून फियून “फिंहू”नाम से आबद्ध है।
लोकोक्ति के अनुसार फिंहू ने पांगणा बेहड़े में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।लोक परंपरा के अनुसार फिंहू सुकेत की ऐसी लड़की पर दिल समर्पित कर बैठा जो रूप की मल्लिका और गुण सम्पन्न थी।साधारण परिवार में जन्म लेने के बाबजूद भी अपने अतुल सौंदर्य के लिए विख्यात थी।राजा फिंहू भी उस लड़की के रूप लावण्य के प्रेम प्श में बन्ध गया।परन्तु फिंहू न तो रूपवान था न ही गुणवान।अतःलड़की ने फिंहू के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया।अपने प्रणय प्रस्ताव के ठुकरा दिए जाने के कारण फिंहू को इतना आघात पहुंचा कि उसने अपने “बेहड़े”(महल)मे ही “फाहीं”(फाँसी)लगाकर आत्महत्या कर ली।अतः एक अकुशल शासक का प्रणय मनुहार उसकी जान पर भारी पड़ा।
डाक्टर हिमेन्द्रबाली’हिम”(कुमारसैन)अध्यक्ष सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा जिला मण्डी हिमाचल प्रदेश।
संलग्न चित्र:- सुकेत रियासत की अंतिम कलात्मक धरोहर बेहड़ा।
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