अचानक ज़िन्दगी में
एक अन्जान सा शख़्स आता है
जो दोस्त भी नही
हमसफ़र भी नही
फिर भी दिल को बहुत
बहुत भाता है, क्यों ?
ढेरों बातें होती है उस से
हज़ारों दु:ख-सुख भी बंटते हैं
जो बातें किसी से नहीं करते थे
हम उस से कह देते हैं, क्यों?
कोई रिश्ता नहीं है उससे
फिर भी उसकी हर बात
मानने को दिल करता है
कोई हक नहीं है
उसका हमपर ,
फिर भी उसका हक जताना
हमको अच्छा लगता है
जब कुछ भी कुछ भी
सुनने का मन ना हो, तब भी ,
क्यों उसको सुनना
अच्छा लगता है
अजीब बात है
कोई रिश्ता नहीं है उससे
फिर भी वो
अपनो से भी ज्यादा
अपना लगता है, क्यों?
ज़िन्दगी है बहुत उदास-सी
बस झमेले ही झमेले हैं
शायद खो ही देते हम खुद को
पर अब उसके कारण
जीने को दिल करता है
ऐसे ही बिना किसी बात पर
बस यूँ ही
हंसने का दिल करता है
कोई नहीं चाहत हमारी
रिश्ता कोई बनाये उससे
ना कोई है उसकी ख्वाहिश
कि किसी बन्धन में
बँध जाये हमसे
फिर भी साथ एक-दूजे का
मन को बहुत भाता है
कभी कभी सोचती हूँ
शायद इसी को
जन्मों का रिश्ता कहतें हैं
पिछले जन्म का छूटा साथ कोई
इस जन्म में रूह का
साथी बनके मिलता है
अजीब-सा रिश्ता है
जिसे कोई नाम देने का
दिल नहीं करता है
पर वो मेरी ज़िन्दगी में
एक अहम जगह रखता है
ऐसे लगता है जैसे कुछ
पवित्र-सा है, प्यारा-सा है
मेरे दिल का एक कोना जैसे
उसके वजुद से ही
महका करता है !!
● रीना अग्रवाल
सोहेला (उड़ीसा)