ग़ज़ल

चांद ग्रह लेने, आफताब तुमसे लेना है।

छोटी-छोटी बात का हिसाब तुमसे लेना है।

वंचित की हैं तुमने जवान ट्टतुएं, हेमंत,

ध्ूप तथा छांव का शबाब तुमसे लेना है।

कितने-कितने चेहरे छुपाए एक चेहरे ऊपर,

ख़ूनी किया बांका नकाब तुमसे लेना है।

फुंकारे वाले सांप तेरी फन को है मसलना,

खगनाथ ध्रौंदे का ख्वाब तुमसे लेना है।

गैरों से क्या कहना क्योंकि दायित्त्व तेरा है,

सारी बात तुम्हारी जवाब तुमसे लेना है।

बहते दरियाओं की असीमता सक्षम रख कर,

आंखों से निकला जो आब तुमसे लेना है।

कांटे भी खण्डित किए, मसल दी है पत्ती पत्ती,

पूरण सुरूख़ रंग का गुलाब तुमसे लेना है।

बुनकर की शैली में ताना-बाना मालामाल,

ध्वंस किए तंतु का हिसाब तुमसे लेना है।

दो सरहदों के बीच रेखा को ख़तम करके,

कश्तियों के पुल का चिनाब तुमसे लेना है।

एकता की वृ(ि में, समय बहुत दूर नहीं है,

चिड़ियों के झुंड ने उकाब तुमसे लेना है।

सीमाएं हों एकमेक, हर्ष, प्रसन्नता घर-घर,

पांच दरियाओं का पंजाब तुमसे लेना है।

कानून बना कर क्षीण कर दिया सभ्यता को,

‘बालम’ पूर्ण निर्मल हिजाब तुमसे लेना है।

बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर

ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध 

मोः 98156-25409