प्यार बेशुमार आता है

कुछ तकरारों के बीच ,प्यार पर खुमार छाता है।

जुदाई के बाद उस पर ,मोहब्बत बेशुमार आता है।

तरसते लबों पर कभी इंकार, तो कभी इकरार आता है।

बन इत्र की खुश्बू सा वो मेरी रूह में समाता है।

ख्वाबों में वो मुझ पर, कुछ ऐसे हक जताता है।

कभी सताता है तो ,कभी मुझको रूलाता है।

खफा गर हो जाऊं , गुस्ताखियां से उसकी मैं ।

बड़े अदब से मेरे ,कदमों में सिर झुकाता है।

सजदा करती हूं उसकी , मोहब्बत की हर निशानियों का।

सच कहूं उस पर प्यार हर बार बेशुमार आता है।

संभाले संभलती नहीं ,स्नेहिल बेताबियां दिल की।

एक उसी पर तो प्यार, हमें हर बार आता है।।

 पूनम शर्मा स्नेहिल

गोरखपुर उत्तर प्रदेश