*गज़ल*

कुछ नहीं तो,बस यूं ही कर लो,

भिगो कर दामन मिरा अश्क़ों से,

पाक रूह अपनी नमकीन कर लो….

कल हो के न हो ये सिलसिले अक़्स”

सुलगती आहटों से अंजुमन भर लो….

कुछ नहीं तो,बस यूं ही कर लो….

शमा पिघलती है पिघल ही जाएगी,

इश्क़ हमने किया तुम बेवफाई कर लो….

के इक लौ जलाई है हमने मुहब्बत की,

इबादत अश्क-ए-शमा ज़ार ज़ार कर लो….

कुछ नहीं जो,बस यूं ही कर लो….

करवटें बदलती है ज़ुस्तज़ु शब ए सहर,

इक कतरा यादों से मिरा दामन भर दो….

के जी न सके संग तेरे ख़्याल भर फक़त,

हौसला मिली क़ब्र को ज़र्रा ज़र्रा दे दो….

जी ही लेंगे कायनात तलक पल भर में,

कुछ नहीं तो बस, कुछ यूं ही इश्क़ कर लो….

#अक़्स (अल्का शर्मा)