मानवो चिंतामण के ने जगावो कालो का काल महाकाल ,
जगाड़ो आत्मा कालिदास के ने मिलावो तानसेन से ताळ ,
अपणी मालवी के राजभाषा बनाई के खेलो रंग गुलाल ,
टेम रेते तम जागो ने जगाड़ो म्हारा मालवा का लाल ।
तेडो आत्मा चन्द्रगुप्त की तम मत मत करो मलाल ,
कोशिश करो सगळा मिली के बिठाओ आपस ताल
आन बान और शान मालवी और मालवा का तम लाल
टेम रेते तम जागो ने जगाड़ो म्हारा मालवा का लाल ।
मालवी मातृभाषा हे मत समजो एके गाल
खड़ी और अग्रेजी में खोई रिया मालवा का लाल
अबे तो सगला भेला हुई जावो पड़्या लिख्या ने गुवाल
टेम रेते तम जागो ने जगाड़ो म्हारा मालवा का लाल ।
तम सोया तो पछतानो पड़ेगा आज नि तो काल
प्यारी प्यारी मीठी मालवी पे आयो संकट ने काल
हुई जावो भेला आखा मालवा का ने ठोको ताल
टेम रेते तम जागो ने जगाड़ो म्हारा मालवा का लाल ।
करो बैठक होटला होन पे ने बुनो एसो जाल
जगाड़ो अपनी आत्मा के जागो बाल गोपाल
आगे आवो सब भाई बेन तमारे जगाड़े “बाबु ” लाल
टेम रेते तम जागो ने जगाड़ो म्हारा मालवा का लाल ।
राजेश भंडारी “बाबु ”
९००९५०२७३४