मेरे पहलू में

आओ आज पहलू में 

ओ हमनवां मेरे

थकन सदियों की 

मिटा लो 

रखकर सिर तुम

मेरे अंक में 

मैं निहारूं तुम्हें

बस टकटकी लगाए

चुम्बन दूं भाल पर तुम्हारे

छिटक दूं

 कपोल पर 

अपने गेसुओं से टपकते

मय को

कर दूं मदमस्त तुम्हें

न रहने दूं होश में 

एक पल को भी

ओझल न हो

भोला चेहरा 

तेरे दरस को प्यासी

इन नज़रों से मेरी

स्पर्श से अपने

दुलार दूं

बरसों से संजोया प्यार

सब आज ,आओ

तुम पर वार दूं 

झूला दूं झूला

बांहों का अपने

सारी व्यथा तुम्हारी

अपने नाम करूं

बिन हिलाए लबों को

आंखों को मूंदे

खोल सारी परतें

अपने हृदयों की

चलो यूं ही हम

आज करें व्यक्त

 एक दूसरे को समर्पित

अपने 

अकूत,अक्षुण्ण,और

अपरिमित प्यार को

भूलकर हर शै को

बस खो जाएं,आज

 एक दूजे में हम

पिंकी सिंघल

अध्यापिका

शालीमार बाग दिल्ली